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अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस

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अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस
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‘अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस' कब और क्यों मनाया जाता है?

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस हर साल 11 अक्टूबर को मनाया जाता है ताकि बालिकाओं के सामने आने वाली चुनौतियों और उनके अधिकारों के संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाई जा सके. अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस 2019 की थीम क्या है, पहली बार इसको कब मनाया गया, इसके पीछे का क्या इतिहास है? आइये इस लेख के माध्यम से जानते हैं.

प्राचीन काल में महिलाओं का बहुत सम्मान किया जाता था. परन्तु जैसे-जैसे समय बीतता गया इनकी स्थिति में काफी बदलाव आया. लड़कियों के प्रति लोगों की सोच बदलने लगी थी. बालविवाह प्रथा, सती प्रथा, दहेज़ प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या इत्यादि रुढ़िवादी प्रथायें काफी प्रचलित हुआ करती थी. इसी कारण लड़कियों को शिक्षा, पोषण, कानूनी अधिकार और चिकित्सा जैसे अधिकारों से वंचित रखा जाने लगा था. लेकिन अब इस आधुनिक युग में लड़कियों को उनके अधिकार देने और उनके प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए कई प्रयास किये जा रहे हैं. भारतीय सरकार भी इस दिशा में काम कर रही है और कई योजनायें लागू कर रही है.

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस हर साल 2012 से मनाया जा रहा है. इसका मुख्य उद्देश्य महिला सशक्तिकरण और उन्हें उनके अधिकार प्रदान करने में मदद करना, ताकि दुनिया भर में उनके सामने आने वाली चुनौतियों का वे सामना कर सकें और अपनी जरूरतों को पूरा कर सकें. साथ ही दुनिया भर में लड़कियों के प्रति होने वाली लैंगिक असामानताओं को खत्म करने के बारे में जागरूकता फैलाना भी है.

भारत में महिला सशक्तिकरण से संबंधित कानून

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस 2019 का थीम

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस 2019 का थीम है "GirlForce: Unscripted and Unstoppable". महिलाओं ने लैंगिक और प्रजनन स्वास्थ्य अधिकारों से लेकर समान वेतन तक के मुद्दों पर वैश्विक आंदोलनों का नेतृत्व किया है. आज ज्यादातर लड़कियां स्कूल जाने लगी हैं, पढ़ाई पूरी कर रही हैं. अपने कैरियर पर फोकस कर रही हैं. अब उनको कम उम्र में शादी करने के लिए भी फोर्स नहीं किया जा रहा है. इसके लिए कई आंदोलनों का विस्तार हुआ है. इन आंदोलनों को किशोर लड़कियों के लिए और बाल विवाह, शिक्षा असमानता, लिंग आधारित हिंसा, जलवायु परिवर्तन, आत्म-सम्मान, और लड़कियों के अधिकारों से संबंधित मुद्दों से निपटने और मासिक धर्म के दौरान पूजा स्थलों या सार्वजनिक स्थानों पर प्रवेश करने के लिए आयोजित किया जा रहा हैं. लड़कियां यह साबित कर रही हैं कि वे Unscripted and Unstoppable हैं.

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस का इतिहास

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बालिका दिवस मनाने की पहल एक गैर-सरकारी संगठन 'प्लान इंटरनेशनल' प्रोजेक्ट के रूप में की गई. इस संगठन ने "क्योंकि में एक लड़की हूँ" नाम से एक अभियान भी शुरू किया. इसके बाद इस अभियान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विस्तार करने के लिए कनाडा सरकार से संपर्क किया. फिर कनाडा सरकार ने 55वें आम सभा में इस प्रस्ताव को रखा. अंतत: संयुक्त राष्ट्र ने 19 दिसंबर, 2011 को इस प्रस्ताव को पारित किया और इसके लिए 11 अक्टूबर का दिन चुना. इस प्रकार पहला अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस 11 अक्टूबर, 2012 को मनाया गया और उस समय इसका थीम था "बाल विवाह को समाप्त करना".

भारत सरकार ने भी बालिकाओं को सशक्त बनाने के लिए काफी योजनाओं को लागू किया है जिसके तहत "बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओं" एक उल्लेखनीय योजना है. इसके अलावा केंद्र और राज्य सरकार भी अन्य महत्वपूर्ण योजनायें शुरू कर रही है. भारत में भी 24 जनवरी को हर साल राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है.

ऐसा कहना गलत नहीं होगा कि किसी भी देश को सफल बनाने के लिए बालिकाओं का भी कदम से कदम मिलाकर चलना आवश्यक है.

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