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स्वतंत्रता दिवस

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स्वतंत्रता दिवस
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 की याद दिलाता है जब हमारे देश भक्त शहीदों ने अपना खून बहाकर शक्तिशाली सरकार को निहत्थे भारतवासियों के सामने झुका दिया और हमें स्वतंत्रता दिलाई. स्वतंत्रता का मंगल पर्व इस बात का साक्षी है कि स्वतंत्रता अमूल्य है, और इस स्वतंत्रता को हमें हमारी ताक़त बनाकर देश को शक्तिशाली देश बनाना है. इस दिन के लिए कितने भारत के देशवासी बलि चढ़ गए. उन सच्चे देशप्रेमियों को मैं सत सत प्रणाम करता हूँ. जिन्होंने अपने देश के लिए अपनी जान की परवाह न करते हुवे अपना पूरा जीवन देश की आज़ादी के लिए लगा दिया. ये दिन भारत वासियों के लिए आज़ादी की याद दिलाता है. और इस दिन पूरा देश उस आज़ादी को मनाता है. ऊपर वाला सभी को आज़ाद रखें और इसी आज़ादी के साथ सभी इंसान इस आज़ादी की मर्यादा को ध्यान में रखते हुवे इसे न तोड़े. इस आज़ादी के साथ साथ भारत से एक छोटा सा टुकड़ा अलग हो गया जो एक नया देश बना वो पाकिस्तान निकला.


स्वतंत्रता दिवस या आजादी के दिन के अवसर पर अनेक कार्यक्रमों का आयोजन होगा, और स्वतंत्रता के इस पावन पर्व को पुरे देश में बड़ी धूम-धाम से मनाया जायेगा. 15 अगस्त का पावन दिन आया। यह दिन भारतीय जीवन का मंगलमय दिन बन गया। भारत के राजनीतिक इतिहास का तो एक स्वर्णिम दिन है। भारत स्वतंत्र हो गया। लेकिन अभी उसके सामने देश के निर्माण का काम था। यह काम हम सभी देशवासियों को मिलकर करना है. हमारा कर्तव्य है कि देश के उत्थान के लिए ईमानदारी, कर्मठता का पाठ सीखे और अपने चरित्र, बल को ऊंचा बनाए और देश को आगे ले जाने में अपना योगदान दे. जनता एवं सरकार दोनों को मिलकर देश के प्रति अपने कर्तव्य को पूरा करना है। युवक देश की रीढ़ की हड्डी के समान है, उन्हें देश का गौरव बनाए रखने के लिए तथा इसे संपन्न एवं शक्तिशाली बनाने में अपना योगदान देना चाहिए। राष्ट्र की उन्नति के लिए यह आवश्यक है कि हम सांप्रदायिकता के विष से सर्वथा दूर रहें।


राष्‍ट्र के लिए ध्‍वज बहुत ही आवश्‍यक होता है। राष्‍ट्रीय ध्‍वज न केवल राष्‍ट्र की पहचान कराता है ब्‍लकि राष्‍ट्रीय ध्‍वज ही हमे एक ऐसी छाया देता है जिसके नीचे पूरा देश सारे भेदभाव भुल कर खड़ा रहता है। तिरंगा का नाम सुनते ही किसी भी भारतीय के दिल में अपने देश के प्रति एक सम्‍मान आ जाता है. आंखों के सामने केसरिया, सफेद, हरी और उनके बीच एक चक्र की छवी बन जाती है। तिरंगा भारत का राष्ट्रीय ध्वज है, जो तीन रंगों से बना है, इसलिए इसे 'तिरंगा' कहते हैं। तिरंगे में सबसे ऊपर गहरा केसरिया, बीच में सफ़ेद और सबसे नीचे गहरा हरा रंग बराबर अनुपात में है। झंडे की चौड़ाई और लम्‍बाई का अनुपात 2:3 है। सफ़ेद पट्टी के केंद्र में गहरा नीले रंग का चक्र है, जिसका प्रारूप अशोक की राजधानी सारनाथ में स्थापित सिंह के शीर्षफलक के चक्र में दिखने वाले चक्र की भांति है। चक्र की परिधि लगभग सफ़ेद पट्टी की चौड़ाई के बराबर है। चक्र में 24 तीलियाँ हैं। राष्‍ट्रीय ध्‍वज 22 जुलाई, 1947 को भारत के संविधान द्वारा अपनाया गया था। रंगों का महत्त्व -तिरंगे में रंगो का क्या महत्व इस प्रकार है. 'केसरिया' यानी 'भगवा रंग' वैराग्य का रंग है। हमारे आज़ादी के दीवानों ने इस रंग को सबसे पहले अपने ध्वज में इसलिए सम्मिलित किया, जिससे आने वाले दिनों में देश के नेता अपना लाभ छोड़ कर देश के विकास में खुद को समर्पित कर दें। जैसे भक्ति में साधु वैराग लेकर मोह-माया से हट भक्ति का मार्ग अपनाते हैं। 'श्वेत रंग' प्रकाश और शांति के प्रतीक के रूप में लिया गया है। 'हरा रंग' प्रकृति से संबंध और संपन्नता को दर्शाता है। ध्वज के केंद्र में स्थित अशोक चक्र धर्म के 24 नियमों की याद दिलाता है। नोट: तिरंगा हमारे देश की शान है, आपको बिलकुल नहीं भूलना चाहिए कि इसी तिरंगे की शान को बरकार रखने के लिए हमारे देश के जवान सरहदो पर अपने प्राणो की आहूति तक दे देतें है, लेकिन इसकी सम्‍मान में कोई कमी नहीं आने देतें है। हमे भी इसका पूरा सम्‍मान करना चाहिए और ध्‍वज संहिता का पुरा पालन करना चाहिए। इसे किसी भी सामान आदी को बांधने में न प्रयोग करें, क्‍योकि ये वहीं तिरंगा है जिसमें एक शहीद जवान का शरीर बड़े ही सम्‍मान से ढका जाता है।

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