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छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती

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छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती
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इतिहास भारतीय राजाओं के गौरव से भरा पड़ा है। 1600 में देश में एक गौरवशाली राजा हुए थे, नाम था छत्रपति शिवाजी। छत्रपति शिवाजी महाराज को कौन नहीं जानता। 1674 में उन्होंने ही पश्चिम भारत में मराठा साम्राज्य की नींव रखी थी।

उन्होंने कई सालों तक औरंगजेब के मुगल साम्राज्य संघर्ष किया और मुगल सेना को धूल चटाई। शिवाजी महाराज की जयंती के दिन पूरा देश उन्हें याद करता है। जगह-जगह कार्यक्रम कर आने वाली पीढ़ी को शिवाजी महाराज की गौरवगाथा के बारे में बताया जाता है।

जीवन परिचय -शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 में शिवनेरी दुर्ग में हुआ था। उनका पूरा नाम शिवाजी भोंसले था। वो एक मराठा परिवार में पैदा हुए थे। कुछ लोग 1627 में उनका जन्म बताते हैं। शिवाजी के पिता का नाम शाहजी और माता का नाम जीजाबाई था। उनका बचपन उनकी माता जिजाऊ के मार्गदर्शन में बीता। माता जीजाबाई धार्मिक स्वभाव वाली थी, इसके बाद भी वो वीरंगना नारी थीं। इसी कारण उन्होंने बालक शिवा का पालन-पोषण रामायण, महाभारत तथा अन्य भारतीयों कहानियां सुनाते हुए उन्हें शिक्षा देकर पाला था। दादा कोणदेव के संरक्षण में उन्हें सभी तरह की युद्ध आदि विधाओं में भी निपुण बनाया गया था। उस युग में परम संत रामदेव के संपर्क में आने से शिवाजी पूर्णतया राष्ट्रप्रेमी, कर्त्तव्यपरायण एवं कर्मठ योद्धा बन गए। उनका विवाह 14 मई 1640 में सइबाई निम्बालकर के साथ लाल महल, पुना में हुआ था। उनके पुत्र का नाम सम्भाजी था। सम्भाजी (14 मई, 1657 - मृत्यु: 11 मार्च, 1689) को हो गई थी। शिवाजी के ज्येष्ठ पुत्र और उत्तराधिकारी थे, जिसने 1680 से 1689 ई. तक राज्य किया। सम्भाजी की पत्नी का नाम येसुबाई था। उनके पुत्र और उत्तराधिकारी राजाराम थे।

मुगलों से मुठभेड़ - शिवाजी महाराज की मुगलों से पहली मुठभेड़ वर्ष 1656-57 में हुई थी। बीजापुर के सुल्तान आदिलशाह की मृत्यु के बाद वहां अराजकता का माहौल पैदा हो गया था, जिसका लाभ उठाते हुए मुगल बादशाह औरंगजेब ने बीजापुर पर आक्रमण कर दिया। उधर, शिवाजी ने भी जुन्नार नगर पर आक्रमण कर मुगलों की ढेर सारी संपत्ति और 200 घोड़ों पर कब्जा कर लिया। इसके परिणामस्वरूप औरंगजेब शिवाजी से खफा हो गया। जब बाद में औरंगजेब अपने पिता शाहजहां को कैद करके मुगल सम्राट बने, तब तक शिवाजी ने पूरे दक्षिण में अपने पांव पसार लिए थे। इस बात से औरंगजेब भी परिचित था। उसने शिवाजी पर नियंत्रण रखने के उद्देश्य से अपने मामा शाइस्ता खां को दक्षिण का सूबेदार नियुक्त किया। शाइस्ता खां ने अपनी 1,50,000 फौज के दम पर सूपन और चाकन के दुर्ग पर अधिकार करते हुए मावल में खूब लूटपाट की थी। ये सारी जानकारियां इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं।

शिवाजी को कुचलने के लिए किले पर अधिकार -शिवाजी को कुचलने के लिए राजा जयसिंह ने बीजापुर के सुल्तान से संधि कर पुरन्दर के क़िले को अधिकार में करने की अपने योजना के प्रथम चरण में 24 अप्रैल, 1665 ई. को व्रजगढ़ के किले पर अधिकार कर लिया। पुरन्दर के किले की रक्षा करते हुए शिवाजी का वीर सेनानायक मुरार जी बाजी मारा गया। पुरन्दर के क़िले को बचा पाने में अपने को असमर्थ जानकर शिवाजी ने महाराजा जयसिंह से संधि की पेशकश की। दोनों नेता संधि की शर्तों पर सहमत हो गए उसके बाद 22 जून, 1665 ई. को पुरन्दर की सन्धि हुई।

धोखे से कैद किए गए थे शिवाजी - छत्रपति शिवाजी आगरा के दरबार में औरंगजेब से मिलने के लिए तैयार हो गए। वह 9 मई, 1666 ई को अपने पुत्र शम्भाजी एवं 4000 मराठा सैनिकों के साथ मुगल दरबार में उपस्थित हुए, परन्तु औरंगजेब द्वारा वहां उनको उचित सम्मान नहीं दिया गया। यहां पर दोनों के बीच बहस हुई जिसके परिणमस्वरूप औरंगजेब ने शिवाजी एवं उनके पुत्र को 'जयपुर भवन' में कैद कर दिया। वहां से शिवाजी 13 अगस्त, 1666 ई को फलों की टोकरी में छिपकर फरार हो गए और 22 सितम्बर, 1666 ई. को रायगढ़ पहुंचे। शिवाजी की 1680 में कुछ समय बीमार रहने के बाद अपनी राजधानी पहाड़ी दुर्ग राजगढ़ में मृत्यु हो गई। इसके बाद उनके पुत्र संभाजी ने राज्य संभाल लिया।


 

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