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एनपीआर एक परिचय

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राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर में 15 सवाल पूछे जाएंगे; इसमें बायोमीट्रिक जानकारी लेने का प्रावधान, लेकिन सरकार का इनकार

 

एनपीआर एक परिचय

 

 

 

नई दिल्ली. अप्रैल से सितंबर 2020 के बीच असम को छोड़कर देशभर में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर यानी एनपीआर तैयार किया जाएगा। जनगणना 2021 के लिए जब घरों की पहचान होगी, तभी घर-घर जाकर एनपीआर भी तैयार कर लिया जाएगा। इसमें आपकी राष्ट्रीयता समेत 15 सवाल पूछे जाएंगे। नियमों के मुताबिक, एनपीआर में बायोमीट्रिक जानकारी लेने का भी प्रावधान है। हालांकि, सरकार कह रही है कि हम न तो दस्तावेज मांगेंगे, न बायोमीट्रिक जानकारी लेंगे। सेल्फ डिक्लेरेशन के आधार पर यह रजिस्टर तैयार होगा।

एनपीआर क्या है?
एनपीआर का अर्थ है नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर या राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर। यह देश के सामान्य रहवासियों का रजिस्टर होता है। इस रजिस्टर में नाम दर्ज करवानाहर रहवासी के लिए जरूरी है। एनपीआर को स्थानीय स्तर पर तैयार किया जाता है। यहां स्थानीय स्तर के मायने गांव, कस्बे, उप जिले, जिले, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तैयार होने वाले डेटाबेस से हैं। 

क्या एनपीआर पहली बार लाया जा रहा है?
नहीं। यह तीसरा मौका होगा, जब एनपीआर के तहत जानकारी जुटाई जाएगी। यूपीए की सरकार आने के बाद 2004 में नागरिकता कानून 1955 में संशोधन किया गया और एनपीआर के प्रावधान जोड़े गए। अब केवल इसे अपडेट किया जा रहा है। 2011 की जनगणना के लिए 2010 में घर-घर जाने के दौरान ही एनपीआर के लिए जानकारी इकठ्ठा की गई थी। इस डेटा को 2015 में घर-घर सर्वे कर फिर अपडेट किया गया था। 

एनपीआर के तहत सामान्य रहवासी क्या हैं?
एनपीआर के तहत सामान्य रहवासी यानी ऐसे लोग जो किसी इलाके में पिछले 6 महीने या उससे ज्यादा समय से रहे हैं या ऐसे रहवासी जो अगले 6 महीने भी उसी इलाके में रहना चाहते हैं। 

क्या एनपीआर का नागरिकता से कोई लेनादेना है?
दिलचस्प बात यह है कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को नागरिकता कानून नागरिकता कानून 1955 और नागरिकता (नागरिकों का रजिस्ट्रेशन और राष्ट्रीय पहचान पत्र) अधिनियम 2003 के प्रावधानों के तहत तैयार किया गया है। इस कानून और अधिनियम के नाम में 'नागरिकता' शब्द है। एनपीआर तैयार करने के दौरान रहवासियों से उनकी 'राष्ट्रीयता' भी पूछी जाती है। लेकिन इस कवायद के जरिए किसी को 'नागरिकता' नहीं दी जाती। एनपीआर में 'नागरिक' की जगह 'रहवासी' या 'निवासी' शब्द का इस्तेमाल किया गया है। 

जब एनपीआर का नागरिकता से कोई लेनादेना नहीं है तो क्या एनआरआई और विदेशी भी इसमें रजिस्टर हो सकते हैं?
अगर कोई बाहरी (विदेशी) व्यक्ति देश के किसी भी हिस्से में छह महीने से ज्यादा समय से रह रहा है, तो उसका ब्योरा भी एनपीआर में दर्ज होगा।

एनपीआर में कौन-सी जानकारी पूछी जाती है?
एनपीआर में 15 तरह की जानकारी पूछी जाती है। नाम, घर के मुखिया से आपका संबंध, पिता का नाम, मां का नाम, लिंग, जन्मतिथि, जन्मस्थान, वैवाहिक स्थिति, शादीशुदा हैं तो जीवनसाथी का नाम, राष्ट्रीयता (जो आपने घोषित कर रखी है), मौजूदा पता, मौजूदा पते पर रहने की अवधि, स्थायी पता, पेशा, शिक्षा के बारे में पूछा जाता है। इसे नोट करके उसकी रसीद भी दी जाती है। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि एनपीआर में सिर्फ फॉर्म भरना होगा, लेकिन इसमें कुछ सवाल आप छोड़ भी सकते हैं।

एनपीआर कब तैयार होगा?
राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर अप्रैल से सितंबर 2020 के बीच असम को छोड़कर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में तैयार किया जाएगा। इसकी अधिसूचना अगस्त में ही जारी हो चुकी है। असम को इसलिए बाहर रखा गया है क्योंकि वहां नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन तैयार किया गया है।

राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर में नाम लिखवाने के लिए क्या कहीं जाना होगा?
एनपीआर के लिए लोगों को कहीं जाने की जरूरत नहीं है। यह घर-घर जाकर तैयार होगा। 2010 में भी ऐसा ही हुआ था। जनगणना 2011 के लिए जब घरों की पहचान कर उनकी लिस्टिंग की गई थी, उसी के साथ-साथ एनपीआर भी तैयार कर लिया गया था।

सरकारी कर्मचारी एनपीआर कैसे तैयार करेंगे?
जब जनगणना के लिए घरों की पहचान की जाएगी, तभी एनपीआर बनाया जाएगा। इसके लिए हर राज्य में जिला स्तर पर अधिकारी और हर इलाके के लिए कर्मचारी तय किए जाएंगे। इन कर्मचारियों को ट्रेनिंग दी जाएगी। एनपीआर में लगे कर्मचारियों के पास टैबलेट होगा। वे डिजिटली सारी जानकारी रिकॉर्ड करेंगे। 

एनपीआर से जुड़े 2 सवाल, जिनके जवाब असमंजस पैदा करते हैं 
1# क्या एनपीआर के लिए मुझे आधार कार्ड या राशन कार्ड दिखाना होगा? क्या मेरे बायोमीट्रिक रिकॉर्ड्स भी दर्ज होंगे?
रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त की वेबसाइट पर लिखा है कि एनपीआर के डेटाबेस में डेमोग्राफिक और बायोमीट्रिक जानकारी शामिल होगी। लेकिन मंगलवार को कैबिनेट की बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि सरकार न दस्तावेज मांगेगी, न बायोमीट्रिक रिकॉर्ड लेगी। लोग जो भी जानकारी देंगे, हम उसे सेल्फ डिक्लेरेशन की तरह स्वीकार करेंगे। वहीं, गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि अगर किसी व्यक्ति के पास आधार कार्ड है तो उसका नंबर बताने में क्या हर्ज है?

बायोमीट्रिक रिकॉर्ड्स क्या होंगे : इसके तहत दोनों आंखों को स्कैन किया जाता है, दसों फिंगर प्रिंट लिए जाते हैं और एक फोटो ली जाती है। इसका मकसद यह है कि बायोमीट्रिक रिकॉर्ड आधार अथॉरिटी के पास भेजा जाए ताकि अगर किसी एक व्यक्ति को दो आधार नंबर जारी हुए हैं तो उसे निरस्त किया जाए।

2# जब सभी एनपीआर में रजिस्टर हो सकते हैं तो इसका उद्देश्य क्या है?
 

  • जो कानून में लिखा है : रजिस्ट्रार जनरल और भारत के जनगणना आयुक्त के निर्देशन में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर तैयार किया जाता है। इसका मकसद देश के हर सामान्य रहवासी का डेटाबेस तैयार करना है।
  • जो सरकार ने बताया : गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि एनपीआर की जरूरत इसलिए है क्याेंकि हर 10 साल में अंतरराज्यीय स्तर पर उथल-पुथल होती है। एक राज्य के लोग रोजी-रोटी के लिए दूसरे राज्य में जाकर बस जाते हैं। ऐसे में किस क्षेत्र में कितने लोगों के लिए किस तरह की योजनाएं पहुंचानी है, इसका आधार एनपीआर से तैयार होता है। जैसे- गुजरात के सूरत में मओडिशा, यूपी और बिहार से कई लोग आकर बसे हैं। एनपीआर का इस्तेमाल कर सरकार यह तय कर सकने की स्थिति में होगी कि जिले में गुजराती के अलावा कितने उड़िया और हिंदी प्राथमिक स्कूल खोले जाएं।

एनपीआर, जनगणना, एनआरसी और सीएए में क्या फर्क है?

 एनपीआरसीएएएनआरसी
नामराष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टरनागरिकता संशोधन कानूननेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन
दायरे में कौन    हर रहवासीपाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश से आए अल्पसंख्यक शरणार्थीभारत के नागरिक
मकसदसरकारी योजनाओं में इस्तेमाल करने के लिए हर रहवासी का डेटाबेस बनेगा3 देशों से आए हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध शरणार्थियों को नागरिकता मिलेगाघुसपैठियों की पहचान होगी
परिभाषाजो 6 महीने से किसी पते पर रह रहा हो, अगले 6 महीने भी रहने वाला हो ऐसे अल्पसंख्यक शरणार्थी जो 5 साल पहले भारत आए थे जिनके पास पहचान के वैध दस्तावेज, वे इस देश के नागरिक
क्या नहीं होगानागरिकता नहीं देगा, न राष्ट्रीयता छीनेगा    पड़ोसी देशों के गैर-अल्पसंख्यक शरणार्थियों को नागरिकता नहीं देगानागरिकता की अंतिम सूची में जो जगह नहीं बना पाए, वे नागरिक नहीं कहलाएंगे
उठते सवालआधार नंबर और जनगणना के बावजूद एनपीआर क्यों?मुस्लिमों का जिक्र क्यों नहीं?क्या हर वो व्यक्ति घुसपैठिया, जिसके पास दस्तावेज नहीं? 
सरकार के जवाबकोई डुप्लीकेशन नहीं है, उद्देश्य अलग-अलग हैंतीनों पड़ोसी देशों में मुस्लिम अल्पसंख्यक नहीं हैं, इसलिए उनका जिक्र नहींदस्तावेज न होना संभव नहीं, फिर भी दावे-आपत्ति के लिए ट्रिब्यूनल बनेंगे
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