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घटता भूजल स्तर दस्तक दे रहा है पेयजल संकट को

Banswara
घटता भूजल स्तर दस्तक दे रहा है पेयजल संकट को
@HelloBanswara - Banswara -

भारत 7वां सबसे बड़ा देश, और आज यह भारत पीने के पानी के संकट का सामना कर रहा है, इसमें घटता भूजल सबसे बड़ा कारण है,  भूजल (ग्राउंड वाटर) जहाँ से हम पिने के लिए, खेती, फेक्टरी आदि कहीं जगह के लिए यह हमारा स्त्रोत है। और भारत पूरी दुनिया में भूजल का उपयोग करने वाला सबसे बड़ा देश है, और इसका सीधा मतलब यहीं है कि हम अपने हमारे एकत्रित जल को पूरी तरह से खत्म कर रहे है। आपको यह बात जानकर हेरानी होगी कि हमारे देश के लगभग  700 जिलों में से 256 जिलों में भूजल का लेवल सरकार ने बहुत ही ख़राब अवस्था में बताया गया है, जिसका सीधा मतलब है कि भूजल कि बहुत कमी हो रही है। केंद्र भूजल के द्वारा दी गई रिपोर्ट के अनुसार 2007 से 2017 के बिच में भारत के भूजल स्तर में लगभग 61 प्रतिशत की कमी आई है, संयुक्त राष्ट्र संघ कि रिपोर्ट के अनुसार सन 2030 में दुनिया को जल संकट का सामना करना पड़ेगा।

भूजल एक अति महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है यह प्रकृति के द्वारा दिया गया निशुल्क उपहार है पृथ्वी का 2 तिहाई हिस्सा जल से भरा हुवा है पर उसका मात्र 2 प्रतिशत ही पीने योग्य है, अगर ऐसा ही चलता गया तो 2030 तक लगभग 40% लोगों के पास पिने का पानी तक नहीं रहेगा। 

जंगल जो खत्म हो रहे है

Jungle

जो जंगल आज हमें खत्म होते दिख रहे है उसमे उसकी कटाई तो महत्वपूर्ण कारण है ही पर बढ़ते जल स्तर इसका मूल कारण बन रहा है क्यूंकि निचे जा रहा जल के कारण पेड़ पोधों को पानी नहीं मिल पा रहा है ये पोधे सिर्फ बारिश के पानी पर ही निर्भर है और जैसे ही बारिश बंद होती है तो फिर से इनकी स्थिति दयनीय हो जाती है। तभी तो आज हमें जंगल सूखे और उझड़े हुवे प्रतीत हो रहे है, पहाड़ियाँ समतल बन गई है, और यहीं सबसे बड़ा कारण है इतनी गर्मी निरंतर बढ़ रही है।

कहीं भूजल कम तो कहीं बाढ़ जैसे हालत  

देखा जाए तो एक तरफ भूजल की कमी और दूसरी तरफ बाढ़, पिछले सालों में भारत में बाढ़ की समस्या सामने आई है और यह बाढ़ हर वर्ष बहुत नुकसान कर निकल जाती है। यह भी हमारे लिए सबसे बड़ा नुकसान का कारण बन रहा है।

धरती को कंक्रीट, ब्लॉक्स से ढकना सबसे बड़ा कारण 

जल संसाधन की रिपोर्ट के अनुसार बढती हुई जनसँख्या, शहरीकरण, उधोगीकरण, जमीन को कंक्रीट, ब्लॉक्स आदि से ढकना, जिस कारण जमीन में पानी नहीं जाता है नालों से पानी बह जाता है। और इस कारण आज जल की समस्या पुरे विश्व के बन गई है। इससे ये अभिप्राय नहीं है कि उधोगीकरण नहीं करे, पर जो नियम है उसकी पालना करेंगे तो हम इस संकट से बच सकते है।

सवाल, क्या करना चाहिए ?

हमें इसके लिए आगे आने कि जरूरत है और समाधान के लिए एक जूट होना ही होगा, इसके लिए बहुत अच्छा उपाय यह है कि हमें बारिश के पानी को जमीन में उतारकर भूजल को रिचार्ज करने की जरूरत है, इसके लिए हम अपने घर में ऐसी जगह गद्दा खोदना चाहिए जहाँ पर बारिश का पानी एकत्रित हो सके और पानी जमीन में उतर जाए, लगभग  6 से 7 फीट का गद्दा खोदकर उसमे पहले बड़े बड़े पत्थर डाल दे और फिर उसके ऊपर छोटे छोटे पत्थर डाल दे, जिसके बाद जितना भी पानी बारिश का आएगा वो इसमें चला जाएगा, ऐसा हर घर के लोगों को करना चाहिए, साथ ही हमारे नगर पालिका, परिषद्, निगम को भी कॉलोनियों में कई जगह ऐसे गद्दे खुदवाने चाहिए जहाँ पर पानी एकत्रित होता है और फिर उन्हें निचे बड़े बड़े पत्थर और फिर छोटे छोटे पत्थर ऊपर डालना चाहिए, इससे पत्थरों की लेयर बनेगी और पानी जमीन में फ़िल्टर होकर जाएगा, इससे पानी बहेगा नहीं और कई हद तक बारिश का पानी जगह जगह से जमीन में उतरेगा। इस विधि से भूजल तो रिचार्ज होगा ही साथ ही बाढ़ जैसे हालत भी काम पैदा होंगे। 


हमारी परंपरागत जल स्त्रोत

डायलब

डायलब बाँसवाड़ा, राजस्थान

साथ ही हमें हमारी परंपरागत जल स्त्रोत पर खासा ध्यान देने के जरूरत है इसमें तालाब सबसे महत्वपूर्ण है। तालाब के जरियें हम भूजल को ऊँचा उठा सकते है, साथ ही हम वर्षा के जल को एकत्रित भी कर सकते है। आज देश के अनेकों भागों में तालाबों कि स्थिति बद से बत्तर हो गई है, कई लोगों ने तालाबों में मिटटी डालकर कब्ज़ा तक कर लिया है। इसी रूप में हमारी बावडिया जो बरसों पहले हमारे पूर्वजों ने इसे देखते हुवे बनाई थी अगर हम वहीँ परमपरा के आधार पर आगे कार्य करे तो हमें जमीन के निचे से पानी निकलने की आवश्यकता कम ही पड़ेगी और जल स्तर भी बढेगा। साथ ही हम देखते है कि नए घर में हर कोई ट्यूब वेल खुदवा कर उसमे से बेतहाः पानी निकाला जा रहा है, और कभी कभी कई हद तक इससे पानी बर्बाद भी हो रहा है जो कि बहुत अधिक कारण है भूजल के स्तर में कमी आने का, अगर सभी लोग नल का पानी का ही इस्तेमाल करेंगे तो यह बहुत बड़ा उपाय रहेगा इसे बचाने का। 

प्रयासों के बावजूद कोई सुधार नहीं

अनेक पर्यावरणविदों और जल विशेषज्ञों के प्रयासों के बावजूद देश के तालाबों और जलाशयों के हालात में कोई सुधार नज़र नहीं आ रहा है। अगर आकड़ों कि माने तो भारत के दक्षिण पश्चिम के क्षेत्र में है जो बिना किसी रखरखाव के आभाव में सूखते जा रहे है और कई तालाब तो सुख कर लुप्त हो गए है अगर इनकों संरक्षित कर दिया जाए तो भूजल के स्तर को कहीं हद तक सहीं किया जा सकता है।

जिस प्रकार हम अपनी आने वाली पीढ़ी को अच्छा बनाने और सुरक्षित रखने के लिए उन्हें किताबी शिक्षा तो दे रहे है पर धरातल की शिक्षा देना ज्यादा जरूरी है क्यूंकि अगर पानी ही नहीं रहेगा तो हम उन्हें ज्यादा समय तक सुरक्षित नहीं रख पायेंगे इसलिए कहीं ज्यादा देर ना हो जाए उससे पहले हम सभी को एक साथ आगे आने की जरूरत है और भूजल के लिए सजग होने की आवश्यकता है। इसलिए आओ सभी आगे आये और जल को बचाए। 

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