एग्जिट पोल? तोते में क्या कमी है!
एग्जिट पोल? तोते में क्या कमी है! (Exit Poll? What is the lack of parrots!)
March 9, 2017 समझ में नहीं आता एग्जिट पोल पर इतना पैसा और समय क्यों बर्बाद होता हैं? बेचारे तोते में क्या कमी है! तोता भी तो वही सब बता सकता है जो एग्जिट पोलपट्टी में सामने आता है!
एक जमाना था जब राजनीति के जानकार पुराने चुनावी आंकडे पर नए अनुमानों की चाशनी लगाकर चुनावी नतीजे की ऐसी जलेबी रिपोर्ट पेश करते थे कि पढ़नेवाले को मजा तो खूब आ जाए पर ओरछोर पकड़ में न आए! इसी दौरान ग्रहों की चाल देखकर चुनावी गणित के समीकरण सुलझानेवालों के भी अच्छे दिन आ गए थे लेकिन राजनैतिक भूकंप ने कई बड़े-बड़े नतीजे धराशायी कर दिए... सितारे किसी के बुलंद बताए थे जबकि पद कोई और ही ले उड़ा!
चुनावी नतीजों में इनकी साख खराब हुई तो नई सदी में इस अवैज्ञानिक ज्योतिष ज्ञान को पछाड़ते हुए कथित वैज्ञानिक सर्वे की प्राणप्रतिष्ठा हुई. पहली बार में कुछ किंतु-परंतु के साथ इसे सौ टका सच्चा साबित किया गया लेकिन बाद में धीरे-धीरे ऐसे सर्वे भी काॅमेडी शो में बदल गए!
तब तक चुनाव आयोग को भी समझ में आ गया था कि एग्जेटली यह भी... अप्रत्यक्ष चुनाव प्रचार पद्धति है! इसीलिए इस पर रोक लगा दी कि चुनाव के दौरान मेहरबानी करके मतदाताओं को भ्रमित नहीं करें!
अभी चुनावी गणना में वक्त है तो क्यों न होली की ठिठोली की जाए... शायद यही सोच कर ग्रेट एग्जिट पोल काॅमेडी शो शुरू हो गए हैं!
लेकिन! इसमें एक बड़ा खतरा भी है... आनेवाले दिनों में कोई आरोपवादी नेता चुनावी नतीजों में हेरफेर का आरोप लगा सकता है कि... जब हम एग्जिट पोल में जीत कर सरकार बना रहे थे तो हम हार कैसे गए? जरूर मिलीभगत से चुनावी नतीजे बदले गए हैं!
By प्रदीप द्विवेदी